Friday 4 December 2020

Top iranian Scientist

             ईरान और इजरायल का तनावपूर्ण संबंध

 अभी हालिया का घटना ईरानी परमाणु बम के पिता कहे जाने वाले मोहसिन फखरी जादेह की हत्याा मिडिल  ईस्ट केे देशों तनाव का कारण बन गया है मोहसिन कौन है उनकी चर्चा कब हुई।

यह इमाम हुसैन यूनिवर्सिटी के फिजिक्स के प्रोफेसर हैं। यह यूनिवर्सिटी ईरान के महत्वकांक्षी परमाणु ऊर्जा  को तुल देना  था । और इनके प्रमुख अधिकारी  मोहसिन  फाखरी जादेह थे। SPND  नाम का संस्था जो परमाणु कार्यक्रम  से संबंध रखता है  उनके प्रमुख अधिकारी  मोहसीन  फाखरी जादेह थे ।यह सीधे रक्षा मंत्री के अधीन काम करता था।  गत नवंबर में इनकी हत्या कुछ फिल्मी  अंदाज में हुआ जिसमें ईरान की   न्यूज़ एजेंसी अलग-अलग दावे है । पॉस न्यूज़ के हिसाब से मोहसिन की हत्याा के लिए  पहले से सुनियोजित किया गया था।

अब सवाल उठता है कि मोहसिन फाखरी जादे नाम कब से चर्चा में आया ।वर्ष 2018 में तेहरान ,बिल्डिंग वेअर हाउस सिक्योरिटी के घेरा में था । यूं तो पैगंबर मोहम्मद के कई नाम है उन्हीं नामों में से एक नाम अमास ।अमास नाम से ही ईरान का  परमाणु कार्यक्रम का ,सीक्रेट रहस्य ,32 अलमीरा जो पूरे आधुनिक लॉक मे रखा गया था । कुछ गुप्त एजेंसी आधी रात लेजर लाइट 3500C,  समय 6 घंटा 29 मिनट, मे आधा टन वजनी सामान को चुराने का सफल अंजाम देकर मोसाद निकलने में कामयाब हुआ।

 30 अप्रैल 2018को  इजराइली प्रधानमंत्री नेतनयाहू

5000 दस्तावेजों ,सीडी  एवं गुप्त नक्शो, परमाणु कार्यक्रम की अमूल्य दस्तावेज को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए  ईरानी परमाणु बम के जनक माने जाने वाले मोहसिन फ़खरी जाादेह  नाम आया  और उसी दिन से टॉप लिस्ट में शामिल हो जाता है।

इससे पहले भी मोसाद ने ईरान के शहरयार , अबवारसी  , दरियौस , वैज्ञानिक को कुत्ते की मौत मारा है ।

ईरानी राष्ट्रपति रूहानी ने इसका बदला लेने की बात कही है ।मोहसिन के विषय में सुरक्षा विशेषज्ञों  की जानकारों को कहना है कि (IRGC)  के वरिष्ठ अधिकारी हैं। ईरान के बहुत ताकतवर व्यक्तियों में एक है ईरान परमाणु हथियार कार्यक्रम में उनकी प्रमुख भागीदारी रहा है।

 न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे एक लेख में मोहसिन फ़खरी जादेह की तुलना रॉबर्ट ओपेनहाइमर से की थी ए वो वैज्ञानिक थे जिन्होंने अमेरिका के लिए मैन ह्टम परियोजना की अगुवाई की थी। दूसरे विश्व युद्ध में परमाणु बम का प्रयोग इन्हीं के अगुुवाई में हुआ था। ईरान की  सीमा से 1900 km  की दूरी पर बसा इजराइल देश ईरान की  परमाणु कार्यक्रम के धुर विरोधी है। ईरान इस परमाणु कार्यक्रम को मिलिट्री ऊर्जा केे उपयोग करेगा ऐसा इजरायल और सऊदी अरब समझता है ।पर ईरान इस बात से हमेशा इनकार करता रहा है । उसका सिर्फ एक ही मकसद है परमाणु ऊर्जा पैदा कर देश की तरक्की को बल देना । पर  ना तो इससे पश्चिमी देश को एतवार है ना सऊदी अरब ,इजरायल को  ईरान द्वारा चलाए गए कार्यक्रम सीक्रेट मिशन का नाम था अमास,इधर ईरान सिया मुल्क है  उधर सऊदी अरब सुन्नी बहुल मुल्क है।


इसीलिए UN एवं अमेरिका द्वारा ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं  जो आज ईरान की अर्थव्यवस्था  पूरे इतिहास का सबसे निचले पायदान पर आ गया है। उधर ही राम को कहना है वह परमाणु कार्यक्रम, मात्र ऊर्जा के लिए इस्तेमाल करेगा। यह कोई पहली घटना नहीं है इससे पहले भी इजरायल ने ईरान के साइबर अटैक के जरिए कई सीक्रेट रहस्य  को चुराया है  एवं  कई कई बार परमाणु कार्यक्रम को झटका देता रहा है ।    अलग-अलग ठिकानों पर उनके वैज्ञानिक को मार देना यह मोसाद  जैसी गुप्त संस्था के लिए आम बात है।

इधर ट्रंप जाने वाले एवं वाइडन की नई सरकार आने वाली है अमेरिकी नई सरकार चाहते हैं कि 2015 में परमाणु समझौता ईरान के साथ हुआ है जिसे बहाल कर दें पर इतना आसान नहीं लगता ट्रंप भी नहीं चाहते की नई सरकार से उनका रिश्ते अच्छे हो। अभी बहुत उतार-चढ़ाव बाकी है ।आने वाला वक्त अमेरिका को ,इजरायल, सऊदी अरब एवं ईरान के बीच  कैसा संबंध बना पाते हैं। ईरान द्वारा उठाए गए कदम आगे, के,लेख में पढ़ेंगे।

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