Tuesday, 1 December 2020

Parliamentary system


                     भारतीय संविधान

भारत में संसदीय व्यवस्था बनाएं उनके तीन अंग होते हैं।

                                   ।                            

 (1)  विधायिका  (2)  कार्यपालिका   (3)   न्यायपालिका

(1)विधायिका -किसी भी प्रकार का कानून बनाने का कार्य विधायिका का है विधायिका का अर्थ होता है विधि यह बनाना यानी कि कानून बनाना यह दो अस्तर पर काम करता है  ।(1) केंद्रीय स्तर पर (2) राज्य स्तर पर 

(2)कार्यपालिका  -बिल (कानून)को लागू करने की शक्ति कार्यपालिका को प्रदान किया गया।

(3) न्यायपालिका - किसी भी प्रकार की न्यायिक चुनौती आती है जो इस नियम ( कानून )को लागू करने में उल्लंघन करता है तो उसे सजा का प्रावधान न्यायपालिका करती है।

कार्यपालिका भी दो स्तर पर काम करती है है पहला एक केंद्रीय दूसरा राज्य स्तर , 

"वह जो पूरे राष्ट्र का प्रधान होता है- राष्ट्रपति कहलाता है

" दूसरे पर उपराष्ट्रपति

 तीसरे पर प्रधानमंत्री 

"प्रधानमंत्री का वास्तविक प्रदान करते हैं।

" प्रधानमंत्री के अधीन काम करता है मंत्रिपरिषद

इसे कार्यपालिका का नामित शक्ति एवं कार्यपालिका की शक्ति का हकदार मानते हैं।

"मंत्री परिषद में मंत्री 3 तरह के होते हैं

(1) कैबिनेट मंत्री (2)राज मंत्री (3)उप मंत्री या स्वतंत्र प्रभार

हमारे यहां दो तरह के कार्यपालिका के सदस्य होते हैं 

(1)स्थाई कार्यपालिका   - 60 या 62 साल के लिए जो है अधिकारी बनते हैं वह स्थाई कार्यपालिका के अंग है।

(2)अस्थाई कार्यपालिका -  5 साल के लिए चुने जाते हैं उन्हें अस्थाई कार्यपालिका के अंग कहते हैं।

राज्य के भी कार्यपालिका होते हैं 

राज्यपाल मुख्यमंत्री

 एवं मंत्री परिषद

केंद्रीय स्तर के कार्यपालिका होते हैं

 राष्ट्रपति 

उपराष्ट्रपति 

प्रधानमंत्री 

मंत्री परिष

विधायिका  -विधि कानून बनाने का कार्य दो जगह होता है एक केंद्र में दूसरा राज्य में।

सूची की संख्या तीन होती है ।(1)संघ सूची (2) राज्य सूची (3)समवर्ती सूची

संसद   -केंद्र के लिए जो कानून बनाता है या  केंद्र एवं राज्य दोनों विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है।

विधानमंडल  -राज्य विषय पर कानून बनाने का अधिकार

" समवर्ती सूची -मे केंद्र और राज्य दोनों के लिए कानून बनते हैं।

विधायिका के 2 अंग होते हैं और विधेयक बनाने का कार्य करती है संसद - (1)लोकसभा  (2)राज्यसभा

 विधायिका राज्य स्तर पर भी विधानमंडल के 2 अंग होते हैं। (1) विधानसभा   (2)विधान परिषद

विधान सभा  सभी राज्य में होते हैं यहां तक कि केंद्र द्वारा शासित प्रदेश में भी विधानसभा हो सकते हैं विधान परिषद 7 राज्यों में हैं विधान परिषद हो भी सकता है   नहीं भी हो सकता हैहो सकता है।

"केंद्रशासित शासित प्रदेशों में विधानसभा क्षेत्र दिल्ली ,पांडिचेरी एवं जम्मू एंड कश्मीर

"प्रधानमंत्री लोकसभा के नाते विधायिका के भी अंग हैं और जब कार्यपालिका में काम करते हैं तो कार्यपालिका के भी अंग होते हैं।

एक ही व्यक्ति कार्यपालिका के भी अंग हो सकते हैं और विधायिका का भी अंग हो सकता है

"जब वह संसद में सांसद के रूप में कार्य करता है तब वह विधायिका का अंग कहलाता है एवं जब वह मंत्री होता है तो कार्यपालिका का अंग कहलाता है।

सरकार के पक्ष में मंत्रालय के कार्य करने वाले कार्यपालिका और  सांसद के रूप में होता है विधायिका का  अंग कहलाता है।

वही अल्पमत में सांसद सिर्फ विधायिका का अंग कहलाता है।

न्यायपालिका -कानून(विधि) व्यवस्था को सही व्यवस्था के लिए एवं ।की उल्लंघन करने वालों को न्यायपालिका सजा का प्रावधान किया है भारत में न्यायपालिका को स्वतंत्र रखा गया है।

न्यायपालिका को उसी एकीकृत में डाला गया है जो श्रृंखलाबद्ध है  (1)सुप्रीम कोर्ट(2) हाई कोर्ट (3)जिला कोर्ट इस तरह न्यायपालिका का क्रमबद्ध श्रृंखला

ऐसा कुछ नहीं है केंद्र स्तर पर सुप्रीम कोर्ट राज्य स्तर पर हाईकोर्ट,  वास्तविक रूप से यह क्रमिक  श्रृंखला है।

" न्यायपालिका और कार्यपालिका का पृथक्करण अनुच्छेद 50 में वर्णित है।

यहां सरकार और जज दोनों सांठगांठ रखेंगे तो कभी निष्पक्ष फैसला नहीं होगा यानी सरकार पर न्यायपालिका कि किसी परिस्थिति में अच्छे काम के लिए दबाव नहीं बनाएगा इसीलिए दोनों एक दूसरे से अलग रखकर काम करता है तो जनता की भलाई हो पाती है जो लोक  कल्याण की बात  हैं। वह पूरा होता है।

 भारतीय लोकतंत्र के तीन स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका। 


आगे की लेख में राष्ट्रपति के बारे में पढ़ेंगे।



Constitution of india (3)


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