नेवीगेशन उपग्रह प्रणाली
हाल के दिनों में कई उपग्रह का प्रक्षेपण किया गया है जिसमें देश के साथ-साथ विदेशों का भी इसरो द्वारा भेजे गए उपग्रह शामिल है। यूं तो आए दिन इसरो के द्वारा हमेशा उपग्रह छोड़ा जाता है लेकिन हम जिक्र कर रहे हैं ।इसरो के द्वारा छोड़े गए इंडियन रीजनल नेवीगेशन सैटलाइट सिस्टम IRNSS को हिंद महासागर क्षेत्र में संचालन के लिए वर्ल्ड वाइड रेडियो नेवीगेशन सिस्टम प्रणाली के एक भाग के रूप मे (IMO)से मान्यता प्रदान की गई है ।साथ ही देश कीी सीमा से 1500km बाहर तक सटीक पोजीशन का पता लगाने मेंं सक्षम है।
स्थापना
अंतरराष्ट्रीय सामुद्रिक व्यापार संगठन(IMO) की स्थापना 1948 ईस्वी में हुआ इसका मुख्यालय लंदन है।
(IMO ) संयुक्त राष्ट् की एक विशेष संस्था है जो स्थापना के 10 वर्ष उपरांत 1958 में जेनेवा सम्मेलन के दौरान एक समझौता हुआ है ।इनके कुल 174 सदस्य तथा तीन एसोसिएट सदस्य हैं यह एक अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारण प्राधिकरण है।
उद्देश्य
यह संस्था आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय शिपिंग की सुरक्षा में सुधार करने और जहाजों द्वारा होने वाले प्रदूषण को रोकने हेतु उत्तरदाई है ।शिपिंग वास्तव में एक अंतरराष्ट्रीय उद्योग है और यह तभी प्रभावी रूप से संचालन की जा सकती है। जब नियमों और मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया जाए । इस संगठन की स्थापना का मुख्य कारण शिपिंग उद्योग के लिए एक ऐसा नियम ढांचासंगत तैयार करना है जो निष्पक्ष एवं प्रभावी हो तथा जिसे सर्व भौमिक रूप से लागू किया जा सके।
क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली
भारतीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली को भारत के इसरो संस्था द्वारा हाल के बीते बरसों में छोड़े गए सेटेलाइट सीरीज का 8वां ,व अंतिम चरण था जो भारत को नेविगेशन उपग्रह प्रणाली में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन IMO को द्वारा मान्यता प्रदान किया है।
नेविगेशन उपग्रह प्रणाली की भूमिका
यह स्वतंत्र, क्षेत्रीय, नेविगेशन उपग्रह प्रणाली वाले देशों में दुनिया का भारत चौथा देश बन गया है, इससे पहले अमेरिका ,रूस, चीन ही ऐसा देश था जिसके पास IMO द्वारा मान्यता प्राप्त नेविगेशन प्रणाली मौजूद था।
IRNSS एक क्षेत्रीय ट्रैकिंग प्रणाली है जो हिंद महासागर की जल के जहाजों के नेविगेशन की सहायता के लिए सटीक स्थिति सूचना सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया। यह उपयोगकर्ता को मानचित्र पर अपनी स्थिति को खोजने के साथ-साथ परिवहन के लिए एक दिशा सूचक यंत्र के रूप में काम करने की इजाजत प्रदान करता है।
नेवीगेशन सैटलाइट प्रणाली के द्वारा अपने क्षेत्र के साथ साथ अपने क्षेत्र की सीमा से बाहर 1500 किलोमीटर दूरी तक सही स्थिति मेे उनके रास्ते और सही पोजीशन को पता लगाने में सक्षम है ।यह प्रणाली को आने से( GPS )जीपीएस की जगह ISRO का नाविक ले लिया है । इसरो आए दिन नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। कभी यह स्थापना के समय के लिए हंसी का पात्र था पर आज कीी तारीखों में अपनी नए-नए कीर्तिमान से देश-दुनिया को अचरज में डाल दिया है। आगे के लेख में शुक्र मिशन के बारे में बात करेंगे । इसके लिए आपके कमेंट का इंतजार रहेगा ।
पढ़ो और आगे बढ़ो।
दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले
Nice
ReplyDeleteWeakly likhe Sir
ReplyDelete