Thursday 26 November 2020

Election commission of india


    भारतीय निर्वाचन आयोग


              अनुच्छेद   - 324 से 329       भाग   -15
"निर्वाचन आयोग की स्थापना- 25 जनवरी 1950    
"मुख्य चुनाव आयुक्त की , एवं दो अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है- राष्ट्रपति
 एवं अपना त्यागपत्र किसे देता है-राष्ट्रपति 
"मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल =6 वर्ष  या 65 वर्ष की उम्र 
" दो अन्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल = 6 वर्ष या 62 वर्ष की उम्र
" राष्ट्रीय मतदाता दिवस- 25 जनवरी कब से( 2011)
" भारत के प्रथम मुख्य चुनाव  -आयुक्त सुकुमार सेन
" भारत के पहले मुस्लिम आयुक्त  -S •Y  कुरैशी 
" भारत की प्रथम चुनाव कार्यवाहक चुनाव आयुक्त =श्री मती B •S  रामा देवी
" भारत में वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त -सुनील अरोड़ा
" संविधान दिवस   -26 नवंबर

भारतीय संविधान की भाग 15 में निर्वाचन का उल्लेख है।

वर्तमान में 17वीं लोकसभा का गठन की चुनाव करवाया चुनाव आयोग ने निष्पक्ष और शांतिपूर्वक चुनाव कराने के लिएModal code of conduct (mcc ) की घोषणा की थी लेकिन कई नेता mcc  को तोड़ रहे हैं।

चुनाव हिंसा और अराजकता कम करने के लिए चुनाव आयोग के पास कुछ शक्तियां भी है चुनाव आयोग को यह शक्तियां भारतीय संविधान की अनुच्छेद 324 से मिली है।

इस अनुच्छेद का उपयोग करते हुए आयोग ने पश्चिम बंगाल में 1 दिन पहले ही चुनाव प्रचार को रोक दिया था ।

Note - लोकसभा चुनाव 2019 में पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा हिंसा हुआ।

अनुच्छेद (324से 329 तक) में भारतीय निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है जो भारत के स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव संपन्न कराने वाली सिर्फ संस्था है ताकि चुनाव प्रक्रिया में जनता की भागीदारी को सुनिश्चित किया जा सके अनुच्छेद 324 में संसद राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति पद ,और राज्य विधानमंडल के लिए चुनाव कराने का नियमों का निर्देश और चुनाव आयोग के अधिकारों के बारे में बताया गया है। भारत में इस तरह से अनुच्छेद 324 का उपयोग करके चुनाव प्रचार पर पहली बार रोक लगाई।

Q -चुनाव आयोग का अधिकार के बारे में जानते हैं

"चुनाव आयोग अनुच्छेद 324 के तहत किसी भी अधिकारी को निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए उसके पद से हटा सकता आयोग ने पश्चिम बंगाल में प्रिंसिपल सेक्रेटरी आर( CID )के  डायरेक्टर को पद से हटा दिया था।

" अनुच्छेद 324 के अंतर्गत ही चुनाव आयोग किसी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी  या राज्य स्तरीय दलों को दर्जा देता है।

" यह राजनीतिक दलों को पंजीकृत करता है और उन्हें चुनाव चिन्ह प्रदान करता है।

" यह चुनाव हेतु प्रत्याशियों को नामांकन स्वीकार करता है और उसकी जांच करता है।

" आयोग निर्वाचन नामावली तैयार करता है और समय-समय पर उसमें सुधार करता है सभी योग्य मतदाताओं को पंजीकृत करवाता है।

" चुनाव कार्यक्रम की तारीख की घोषणा करता है और फिर चुनाव कराता है।

" राजनीतिक दलों को टेलीविजन रेडियो पर अपनी नीतियों व कार्यक्रम के प्रचार के लिए समय सीमा का निर्धारण करता है।

चुनाव और प्रतिनिधित्व

" पूरे देश में 543 निर्वाचन क्षेत्रों में बांटा गया है प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है और उस निर्वाचन क्षेत्र में जिस प्रत्याशी को सबसे अधिक वोट मिलता है। उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है।

" लोकसभा में 543 निर्वाचित सीटों को 79 अनुसूचित जाति और 41 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।

" 1989 तक 21 वर्ष से ऊपर के भारतीय नागरिकों को 82 भारतीय माना जाता था पर 1989 में संविधान संशोधन के द्वारा इसे घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया।

" लोकसभा या विधानसभा चुनाव में खड़े होने के लिए उम्मीदवार को कम से कम 25 वर्ष की आयु होनी चाहिए।

" यदि किसी व्यक्ति को अपराध के लिए  दो या दो से अधिक वर्षों के लिए जेल हुई तो वह चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है।

" भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 निर्वाचन के लिए मतदाता सूची तैयार करना, चुनाव संचालन, निर्देशन, नियंत्रण का अधिकार ,एवं स्वतंत्र निर्वाचन आयोग प्रदान करता है ।

" 1993 में दो निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति हुई और निर्वाचन आयोग बहुत सदस्य हो गया तब से यह बहू -सदस्यी  बना हुआ है।

 "संविधान मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के कार्यकाल की सुरक्षा देता है 6 वर्ष के लिए या 65 वर्ष की आयु तक के लिए नियुक्त किया जाता है।

" भारत के संविधान अनुच्छेद 324 के तहत भारत में शांतिपूर्ण व निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए एक चुनाव आयोग का गठन की व्यवस्था की है।

" भारत के निर्वाचन आयोग की सहायता करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक मुख्य निर्वाचन अधिकारी होता है।

Q आज का सवाल है, संविधान निर्माताओं ने पृथक निर्वाचन मंडल को क्यों स्वीकार नहीं किया

आजादी के पहले भी इस बात पर बहस का विषय था, और ब्रिटिश सरकार ने पृथक- निर्वाचन मंडल की शुरुआत की थी इसका अर्थ यह था कि किसी समुदाय के प्रतिनिधि के चुनाव में केवल उसी समुदाय के लोग वोट डाल सकेंगे।

संविधान सभा के अनेक सदस्यों को इस बात की शंका था  इसीलिए उन्होंने वह व्यवस्था हमारे उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सकेगी। इसीलिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था को अपनाया गया इस व्यवस्था के अंतर्गत किसी निर्वाचन क्षेत्रों में सभी मतदाता को वोट डाल सकेंगे लेकिन प्रत्याशी केवल उसी समुदाय या सामाजिक वर्ग का होगा ।जिसके लिए वह सीट आरक्षित है।

संविधान निर्माताओं ने पृथक निर्वाचक मंडल को इसीलिए स्वीकार नहीं किया। 

क्योंकि अनेक ऐसे सामाजिक समूह हैं जो पूरे देश में फैले हुए हैं ।किसी एक निर्वाचन क्षेत्र में उनकी इतनी संख्या नहीं होती है कि वह किसी प्रत्याशी को जीत को प्रभावित कर सके । पूरे देश पर नजर डालने पर वह अच्छे खासे बड़े समूह के रूप में दिखाई देते हैं। उन्हें समुचित प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण की व्यवस्था जरूरी हो जाती है ।संविधान अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के लिए लोकसभा एवं राज्य के विधानसभाओं में आरक्षण की व्यवस्था करता है ।प्रारंभ में यह व्यवस्था 10 वर्ष के लिए की गई थी पर अनेक संवैधानिक संशोधन द्वारा इसे बढ़ाकर 2010 तक कर दिया गया और आरक्षण की अवधि खत्म होने पर संसद इसे और आगे बढ़ाने का निर्णय लेती रहती है।

इन दोनों समूहों की आरक्षित सीटों का वही अनुपात है जो भारतीय जनसंख्या में उनका अनुपात है आज लोकसभा की 543 निर्वाचित सीटों में 79 अनुसूचित जाति और 41 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।

Q फर्स्ट -पास्ट -द- पोस्ट सिस्टम क्या है

चुनाव व्यवस्था में जिस प्रत्याशी को अन सभी प्रत्याशियों से अधिक वोट मिल जाता है उसे ही निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है ।विजय प्रत्याशी के लिए यह जरूरी नहीं कि उसे कुल मतों का बहुमत मिले इस विधि से जो सबसे आगे होता है वही जीते प्रणाली फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहते हैं।

Q समानुपातिक प्रतिनिधित्व=   प्रत्येक पार्टी चुनाव से पहले अपने प्रत्याशियों की प्राथमिकता सूची जारी कर दी है और उतनी ही प्रत्याशी को विशेष प्राथमिकता सूची से चुन लेती है जितनी सीटों का कोटा उसे दिया जाता है चुनावों की इस व्यवस्था को समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली कहते हैं।

समानुपातिक प्रतिनिधित्व दो प्रकार के होते हैं।

" कुछ देश जैसे नीदरलैंड याइजरायल में पूरे देश को एक निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है और प्रत्येक पार्टी को राष्ट्रीय चुनाव में प्राप्त वोटों के अनुपात में सीटें दी जाती है।

" दूसरा उदाहरण अर्जेंटीना और पुर्तगाल में देखने को मिलता है जहां पूरे देश का बहु सदस्य निर्वाचन क्षेत्रों में बांट दिया जाता है प्रत्येक पार्टी प्रदेश निर्वाचन क्षेत्र के लिए अपने प्रत्याशियों की एक सूची जारी करती है जिसमें उतने ही नाम होते हैं जितनी प्रत्याशियों को उस निर्वाचन क्षेत्र से चुना जाना होता है इन दोनों ही रूपों में मतदाता राजनीतिक दलों को वोट देते हैं ना कि उनके प्रत्याशी में को एक पार्टी को किसी निर्वाचन क्षेत्र में जितनी मत प्राप्त होते हैं उसी आधार पर उसे उस निर्वाचन क्षेत्र में सीटें दे दी जाती है।

Q सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार क्या है।

" लोकतांत्रिक चुनावों में देश के सभी वयस्क नागरिकों को चुनाव में वोट देने का अधिकार होना जरूरी है इसी को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के नाम से जानते हैं ।अनेक देशों में नागरिक को इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए शासकों से बहुत लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी है ।

बहुत से देशों में तो महिलाओं को यह अधिकार काफी देर से और बड़े संघर्ष के बाद मिला ।भारतीय संविधान निर्माताओं ने एक महत्वपूर्ण निर्णय के द्वारा प्रत्येक वयस्क भारतीय नागरिक को वोट देने का अधिकार प्रदान करता है।

Q विशेष बहुमत का अर्थ- उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो तिहाई बहुमत और दूसरा सदन की कुल संख्या का साधारण बहुमत विशेष बहुमत कहलाता है


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