Monday, 30 November 2020

Constitutional Amendment of india

 CONSTITUTIONAL           AMENDMENT OF                                        INDIA                                    

संविधान में संशोधन की प्रक्रिया दक्षिण अफ्रीका के संविधान से लिया गया ।भारतीय संविधान संशोधन भाग- -15, अनुच्छेद 368 के प्रावधानों के अंतर्गत किया गया है। 1950 में संविधान लागू के पश्चात भी अभी तक समय-समय -समय पर कुल 103 संशोधन किया गया है।

 परीक्षाओं को ध्यान में रखकर कुछ संविधान संशोधन के बारे में अध्ययन करते हैं।

भारतीय संविधान के संशोधन

पहला संशोधन 1951 -संसोधन द्वारा नौवीं अनुसूची को शामिल किया गया था।

दूसरा संशोधन 1952 -संसद मैं राज्यों के प्रतिनिधित्व निर्धारित किया गया था।

7 वां संशोधन 1956 -किस संशोधन द्वारा राज्यों को और वर्गों में विभाजन समाप्त कर उन्हें 14 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में विभक्त कर दिया गया।

10 वां संशोधन 1961 -दादर और नगर हवेली को भारतीय संघ में शामिल कर उन्हें संगीत क्षेत्र की स्थिति प्रदान की गई थी।

 12 वां संविधान संशोधन 1962  -गोवा दमन और दीव का भारतीय संघ में एकीकरण किया गया था।

13 वां संशोधन 1962- संविधान में एक नया अनुच्छेद 371 (अ)जोड़ा गया जिसमें नागालैंड के प्रशासन के लिए कुछ विशेष प्रदान किए गए 1 दिसंबर 1963 को नागालैंड को एक राज्य की स्थिति प्रदान की गई थी।

14 वां संशोधन 963 -पांडिचेरी को संघ राज्य क्षेत्र के रूप में प्रथम अनुसूची में जोड़ा गया और इस संघ राज्य क्षेत्र हिमाचल प्रदेश गोवा दमन और दीव पांडिचेरी और मणिपुर में विधानसभा की व्यवस्था की गई थी।

21 वां संशोधन 1967 -आठवीं अनुसूची में सिंधी भाषा को जोड़ा गया।

22 वां संशोधन 1968 -सांसद को मेघालय को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित किया गया तथा उसके विधानमंडल और मंत्रिपरिषद का व्यवस्था करने की शक्ति प्रदान की गई।

24 वां संशोधन 1971 -संसद को मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन करने का अधिकार दिया गया।

27 वां संशोधन1971- उत्तर पूर्वी क्षेत्र के 5 राज्यों जैसे असम नागालैंड मेघालय मणिपुर त्रिपुरा तथा दो संघीय क्षेत्र मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश का गठन किया गया और संबंधों और सहयोग के लिए एक पूर्वोत्तर सीमांत परिषद की व्यवस्था की गई थी।

31 वां संशोधन 1974 -लोकसभा की अधिकतम संख्या 547 निश्चित की गई जिसमें से 545 निर्वाचित एवं राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होंगे । 530 संसदीय क्षेत्र से एवं 13 केंद्र शासित प्रदेश से 2 एंग्लो इंडियन।

36 वां संशोधन 1975- से कम को भारतीय संघ में 22 वें राज्य के रूप में स्थिति प्रदान किया गया।

37 वां संशोधन 1975- अरुणाचल प्रदेश में व्यवस्थापिका एवं मंत्री परिषद की स्थापना की गई।

42वां संशोधन 1976 -इसे लागू संविधान की संज्ञा प्रदान की गई है इसमें प्रस्तावना धर्मनिरपेक्ष समाजवादी और अखंडता चार एलेक्स शब्द जोड़े गए थे इसके द्वारा अधिकारों के साथ कर्तव्यों की व्यवस्था करते हुए नागरिकों के 10 मूल कर्तव्य निश्चित किए गए हैं लोकसभा तथा विधानसभाओं के कार्यकाल में 1 वर्षीय वृद्धि की गई नीति निर्देशक तत्वों में कुछ नवीन तत्व जोड़े गए थे इसमें शिक्षा, नापतोल ,जंगली जानवर , और बन को  समवर्ती सूची में रख दिए गए।

यह व्यवस्था की गई है कि अनुच्छेद 352 के अंतर्गत आपातकाल संपूर्ण देश में लागू किया जा सकता है देश के किसी एक के कुछ भागों के लिए संसद द्वारा किए गए संविधान संशोधन को न्यायालय में चुनौती देने से वर्जित कर दिया गया है।

44 वां संशोधन 1978- संपत्ति के मूल अधिकार को समाप्त करके इसे विधिक -बत अधिकार बना दिया गया लोकसभा तथा राज विधानसभा की अवधि पुणे 5 वर्ष कर दी गई राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव विवादों को सुनवाई का अधिकार पुणे सर्वोच्च न्यायालय को ही दे दिया गया मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रपति को जो भी परामर्श दिया जाएगा राष्ट्रपति मंत्रिमंडल को उस पर दोबारा विचार करने के लिए क्या सकेंगे लेकिन पुनर्विचार के बाद मंत्रिमंडल राष्ट्रपति को जो भी परामर्श देगा राष्ट्रपति उस पर परामर्श को अनिवार्यता स्वीकार करना होगा व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को राष्ट्रपति शासन में   भी, आपातकाल में भी स्थगित तथा सीमित नहीं किया जा सकता ।

52 वां  संशोधन 1985- किस संशोधन द्वारा संविधान में दसवीं अनुसूची जोड़ी गई थी जो राजनीतिक दल बदल से संबंधित है।

55 वां संशोधन 1986 -अरुणाचल प्रदेश को भारतीय संघ के अंतर्गत राज्य की दर्जा प्रदान किया गया।

56 वां संशोधन 1987- में गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा देने तथा दमन व दीव को नया संगीत चित्र बनाने की व्यवस्था की गई थी।

61 वां संशोधन 1989 -मताधिकार के लिए न्यूनतम आवश्यक आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।

65 वां संविधान संशोधन 1990-अनुसूचित जाति तथा जनजाति के गठन की व्यवस्था की गई।

69 वां संविधान  संशोधन   ,1991  - दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र दिल्ली किया गया इसमें 70 सदस्य विधान सभा में व्यवस्था भी एवं 7 संसदीय सदस्य का भी प्रावधान किया गया।

70 वां संशोधन 1992-दिल्ली तथा पांडिचेरी संघ राज्य क्षेत्र की विधान सभा के सदस्यों को राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में शामिल करने का प्रावधान किया गया।

71 वां संविधान संशोधन 1992  - 3 भाषा को  कोकनी,  मणिपुरी  और नेपाली को संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ी गई।

73वां संविधान संशोधन 1992 -पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया एवं पंचायती राज्य को भाग 9 से जोड़ा गया।

77 वां संविधान संशोधन 1995 -अनुसूचित जाति एवं जनजातियों को नौकरियों में पदोन्नति देने की व्यवस्था की गई।

80 वां संविधान  2000 - संशोधन यह केंद्र एवं राज्यों के बीच राजस्व के बंटवारे को लेकर है जिसमें केंद्रीय करो और शुल्क का 29% राज्यों के बीच बांट दिए जाने की व्यवस्था की गई।

82  वा संविधान संशोधन 2000 -अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए केंद्र एवं राज्यों की लोकसभा में अंको में छूट देने एवं मानकों में ढील देने की व्यवस्था की गई।

"लोकसभा एवं विधानसभा की सीटों की संख्या में वर्ष 2026 तक सीमित रखा जाएगा

"निर्वाचन क्षेत्रों  का पूर्णनिर्धारण वर्ष 1991 की जनसंख्या के आधार पर ही होगा।

89 वां  संविधान संशोधन 2003- अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग दो भागों में विभाजित कर दिया गया था

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग  अनुच्छेद388

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अनुच्छेद 388 A 

91 वां संविधान संशोधन   2003 -इसमें विधानसभा की सीटों की संख्या का 15% मंत्री से अधिक  नहीं बना सकते।

92 वां संविधान संशोधन 2003 - आठवीं अनुसूची में 4 नई भाषा जोड़ी गई थी बोडो ,डोगरी ,मैथिली और संथाली इन भाषाओं को मिलाकर कुल संख्या 22 हो गया।

96 वां  संविधान संशोधन 2011-  शब्द को उड़िया शब्द में प्रत्यय स्थापित कर दिया गया आठवीं अनुसूची में शामिल उड़िसा भाषा को ओडीशा कहा जाएगा।

100 वां  संविधान संशोधन 2014 - इसमें भारत और बांग्लादेश के बीच 1974 का भूमि सीमा का समझौता हुआ।

101 वां संविधान संशोधन 2017 - इसमें वस्तु एवं सेवा कर जीएसटी प्रारंभ किया गया।

102 वां संविधान संशोधन 2018  -सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक दर्जा दिया गया।

103 वां संविधान संशोधन 2019  -आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था की गई


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