Tuesday 24 November 2020

Fundamental Rights of india

               भारतीय संविधान में अधिकार 

भारतीय संविधान की आवाज आजादी मिलने से पूर्व सन 1928 ईस्वी में ही बुलंद होने लगी पर साइमन कमीशन के विरोध और भारतीय सचिव का चुनौती ने "नेहरू रिपोर्ट, के द्वारा एक भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार किया गया जो निम्न था।

साइमन कमीशन 3 फरवरी 1928 ईस्वी को भारत आया इसे बैटमैन कमीशन भी कहते हैं ।30 अक्टूबर 1928 में लाहौर में साइमन आयोग के वि-


रोध प्रदर्शन करते समय पुलिस की लाठी से लाला लाजपत राय घायल हो गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई इनके विरोध होने का कारण । साइमन कमीशन के सारे प्रतिनिधि अंग्रेज थे ।

"साइमन कमीशन का बहिष्कार न करने वाले दो दल थे जस्टिस पार्टी एवं पंजाब यूनीयरिष्ट  पार्टी

" भगत सिंह के नेतृत्व में पंजाब में क्रांतिकारियों ने 17 दिसंबर 1928 ईस्वी को लाहौर के तत्कालीन सहायक पुलिस कप्तान सांडर्स को गोली मार दी ।

" साइमन कमीशन की नियुक्ति के साथ भारत सचिव

Lord Birkenhead ने भारतीय नेताओं को चुनौती दी यदि वह विभिन्न संप्रदायों के साथ मिलकर एक संविधान तैयार करें तो इंग्लैंड उस पर गंभीरता से विचार करेगा भारतीय नेताओं ने स्वीकार किया। सभी नेताओं ने मिलकर एक संविधान की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक समिति गठित किया जिसका अध्यक्ष मोतीलाल नेहरू एवं सचिव उनके पुत्र जवाहरलाल नेहरू थे और इसमें 9 अन्य सदस्य थे एक सदस्य जिनका नाम सुभाष चंद्र बोस भी थे ।

" अपनी रिपोर्ट 28 अगस्त 1928 को प्रस्तुत किया जो नेहरू रिपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है।

भारत को एक Dominion State राज्य का दर्जा दिया जाए।

"" केंद्र में द्विसदनात्मक प्रणाली की व्यवस्था 

" कार्यकारिणी पूरी तरह से व्यवस्थायीका सभा के प्रति उत्तरदायित्व हो 

" समस्त दायित्व भारतीय प्रतिनिधियों को सौंपा जाए

" भारत में संघीय प्रणाली की व्यवस्था की जाए

1928 में मोतीलाल नेहरू के समिति के अधिकारों की घोषणा पत्र की मांग में उठाई गई थी भारतीय संविधान

भारतीय संविधान मे कुछ विदेशी स्रोतों को लिया गया है जिससे हमारे संविधान की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं 


 "1976 में संविधान का 42वां संशोधन किया गया।

"1978 में जनता पार्टी की सरकार ने 44 वें संविधान संशोधन के द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से निकाल दिया और संविधान के अनुच्छेद 300 (क)के  अंतर्गत उसे एक सामान्य कानूनी अधिकार बना दिया।

" वर्ष 2000 में सरकार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया

" अनुच्छेद 21  -जीवन और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा अन्यथा नहीं।

"स्वतंत्रता की सबसे महत्वपूर्ण अधिकारों में जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है किसी भी नागरिक को कानूनी द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता।

"हमारे संविधान में यह भी प्रावधान है कि जो लोग अनेक अपराधों के आरोपी हैं उन्हें भी सुरक्षा मिले।


" संविधान के प्रावधानों में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी कल कारखाने या खतरनाक नौकरी पर नहीं रखी जा सकती है।

नीति निर्देशक और मौलिक अधिकारों का संबंध

" मौलिक अधिकारों और नीति निर्देशक तत्व को एक दूसरे के पूरक के रूप में देखा जा सकता है जहां मौलिक अधिकार सरकार के कुछ कार्यों पर प्रतिबंध लगाता है वह अगर नीति निर्देशक तत्व की बात करते हैं तो इससे कुछ करने की प्रेरणा देता है मौलिक अधिकार खासकर व्यक्ति के अधिकारों को सुरक्षित करता है

लेकिन नीति निर्देशक तत्व पूरे समाज के हित के बारे में बताता है पर कभी-कभी जब सरकार नीति निर्देशक तत्वों को लागू करने का प्रयास करती है तो वे नागरिकों को मौलिक अधिकारों से टकरा सकता है।

अब सवाल है कि कौन सा अधिकार सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण :

भारतीय संविधान में दिया गया अंतिम अधिकार संवैधानिक उपचारों का अधिकार है जो सबसे महत्वपूर्ण है

क्योंकि यह अधिकार है कि अगर संविधान में किए गए अन्य मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो तो आपको यह अधिकार देता है कि नागरिक उच्चतम न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार प्राप्त होता है ।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने इसी अधिकार को संविधान का हृदय (अनुच्छेद 32 )बताया ।इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय पांच प्रकार का रिट जारी करता है।


(1) बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habes corpus)


 बंदी प्रत्यक्षीकरण के द्वारा न्यायालय किसी गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के सामने प्रस्तुत करने का आदेश देता है यदि गिरफ्तारी का तरीका या कारण गैरकानूनी या संतोषजनक हो तो न्यायालय गिरफ्तार व्यक्ति को छोड़ने का आदेश दे सकता है।


(2) परमादेश(Mandamus) 


यह आदेश तक जारी किया जाता है जब न्यायालय को लगता है कि कोई सार्वजनिक पदाधिकारी अपने कानूनी और संवैधानिक दायित्वों का पालन नहीं कर रहा है और इसे किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है।


(3) निषेध आदेश(Prohibition )

 जब कोई निचली अदालत अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करके किसी मुकदमे की सुनवाई करती है । तो ऊपर की अदालत है उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय उसे ऐसा करने से रोकने के लिए निषेध आदेश जारी करता है।


(4) अधिकार पृच्छा(Certiorari ) 

जब न्यायालय को लगता है कि कोई व्यक्ति ऐसा पद पर नियुक्त हो गया है जिस पर उसका कोई कानूनी हक नहीं है तब न्यायालय अधिकार पृच्छा आदेश के द्वारा उसे पद पर कार्य करने से रोक देता है।


(5) उत्प्रेषण  (Quo-Warranto)

जब कोई निचली अदालत या सरकारी अधिकारी पीना अधिकार से कोई कार्य करता है तो न्यायालय उसके समक्ष विचाराधीन मामले को उसी से लेकर उत्प्रेषण द्वारा उसे ऊपर की अदालत या अधिकारी को हस्तांतरित कर देता है।

Q  न्यायालय में निष्पक्ष मुकदमे के लिए संविधान की तीन अधिकारों की व्यवस्था करता है  वे कौन-कौन  है?


" किसी भी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से ज्यादा सजा नहीं मिलेगा

" कोई भी कानून किसी भी ऐसा कानून को जो उक्त कानून को लागू होने से पहले किया गया हो अपराध घोषित नहीं कर सकता है।

" किसी भी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्ष्य देने के लिए बात नहीं कर सकता है।



Q   भारतीय संविधान में लिखित लोगों के उद्देश्य और उनकी नीतियां क्या है

उद्देश्य     

"लोगों का कल्याण सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय

" जीवन स्तर ऊंचा उठाना संसाधनों का सामान वितरण

" अंतरराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना

नीतियां       

" समान नागरिक संहिता,  मद्यपान निषेध,  घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना  ,उपयोगी वस्तुओं को मारने पर रोक,  ग्राम पंचायत को प्रोत्साहन देना

अब भारतीय नागरिकों को जो मूल अधिकार प्राप्त हैं जो इस प्रकार हैं

(1) समता  या समानता का अधिकार   अनुच्छेद( 14 से-18)

(2) स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 19  -से  22)

(3) शोषण के विरुद्ध अधिकार अनुच्छेद 23 से 24

(4) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार   (अनुच्छेद 25 से 28)

(5) संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार   (अनुच्छेद 29 से 30 )

(6)संवैधानिक उपचारों का अधिकार          (अनुच्छेद 32

Q भारतीय संविधान में लिखित राज्य के नीति निर्देशक तत्व कौन सा है।

"व्वे लक्ष्य और देश जो एक राज्य के रूप में हमें स्वीकार करना चाहिए।

" व्वे अधिकार जो नागरिकों को मौलिक अधिकारों के अलावा मिलने चाहिए।

" वे नीतियां जिन्हें सरकार को  स्वीकार करनी चाहिए।

Q भारतीय संविधान  मे धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार में नागरिकों को कौन सा अधिकार है

" आस्था और प्रार्थना की आजादी

" धार्मिक मामलों का प्रबंधन और खास तरह की संस्थाओं में धार्मिक निर्देश देने की स्वतंत्रता

Q भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के लोगों का कौन सा अधिकार दिए गए हैं

" अल्पसंख्यकों की भाषा और संस्कृति के संरक्षण का अधिकार अनुच्छेद 29

" अल्पसंख्यकों शैक्षणिक संस्थाएं स्थापित करने का अधिकार अनुच्छेद 30

Q  स्वतंत्रता का सबसे अहम अधिकारों में जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार महत्वपूर्ण क्यों है

"- स्वतंत्रता की सबसे अहम अधिकार में जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है कि किसी भी नागरिक को कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है ।

इसका अर्थ यह है कि किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है ।गिरफ्तार किए जाने पर उस व्यक्ति को पसंदीदा वकील के माध्यम से अपना बचाव करने का अधिकार है इसके अलावा पुलिस के लिए यह आवश्यक है कि वह अभियुक्त को 24 घंटे के अंदर निकटतम मैजिस्ट्रेट के सामने पेश करें ।मजिस्ट्रेट ही इस बात का निर्णय करेगा कि गिरफ्तारी उचित है या नहीं


Q सामान्यतः किसी व्यक्ति अपराध करने पर गिरफ्तार किया जाता है सर उसके बाद को समझिए

" किसी व्यक्ति को अपराध करने पर गिरफ्तार किया जाता है पर इसके अपवाद भी है। कभी-कभी किसी व्यक्ति को इस आशंका पर भी गिरफ्तार किया जाता है कि यह कोई गैर कानूनी कार्य करने वाला है ।और उसे लागू कानून को पालन किए बिना ही कुछ समय के लिए जेल भेजा जाता है ।इसे ही निवारक या नजरबंदी कहते हैं इसका अर्थ यह है कि यदि सरकार को लगे। कि कोई व्यक्ति देश के कानून व्यवस्था या शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है तो वह उसे बंदी बना सकता है लेकिन निवारक नजरबंदी अधिकतम 3 महीने के लिए हो सकता है ।3 महीने के बाद ऐसे मामले की समीक्षा के लिए एक सलाहकार बोर्ड के समक्ष लाए जाते हैं।


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