पहला मॉस गार्डन
भारत के पहले मॉस गार्डन के महत्व के बारे में आपको बताते हैंअभी हाल के दिनों में देश का पहला मॉस गार्डन का उद्घाटन जल पुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह के द्वारा किया गया।
CAMPA योजना के तहत पिछले साल जुलाई में मंजूरी दी गई थी। इस गार्डन एक पहला ऐसा उद्यान है जो कुमायूं के नैनीताल जिले में 10 हेक्टेयर में फैला है। इसे बनकर तैयार होने में कोई 1 साल का समय लगा ।जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
उपयोगिता
इस गार्डन की महत्व की सीमाएं मॉस(moss) एक तरह की काई होती है जो दीवारों और पहाड़ों पर हरे रंग की दिखाई देती है इसका अपना एक औषधीय गुण होता है ।दवाओं में बहुत मात्रा में इस्तेमाल होती है। भारत में पाई जाने वाली 2300 सौ मॉस प्रजाति में से 339 विशेष गुण वाले मॉस प्रजाति उत्तराखंड में पाई जाती है। मॉस गैर संवहनी पौधा है। जो ब्रायोफाइटा से संबंधित है। इन्हें छोटे -छोटे फूलों वाले पौधों के रूप में जाना जाता है। जो आमतौर पर नमी वाले और छायादार स्थानों पर उगते हैं इसकेे अलावा मृदा गठन, जल प्रतिधारण ,परिस्थितिकी तंत्र ,और जैव विविधता को बनाए रखनेेे के लिए Moss बहुत अहम भूमिका निभाता है। moss मे पोषक तत्व की जांच करके औषधीय गुणवत्ता की जानकारी जुटाई जाती है ।मॉस गार्डन को विकसित करने के लिए राज्य वन विभाग ने moss प्रजातियों का अध्ययन करने के लिए अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी दी थी।
उद्देश्य
इस गार्डन का उद्देश्य , पारिस्थितिकी तंत्र के उतार-चढ़ाव का सबसे महत्वपूर्ण संकेत दिखाता है इसीलिए व्वे आवास और जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील है । उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले के खूर्पपाताल में बने इस moss का उद्देश्य विभिन्न प्रजातियों का काई और अन ब्रायोफाइट्स का संरक्षण करके, लोगों को पर्यावरण में moss की भूमिका और उपयोगी की स्थिति से अवगत कराना है ।10 हेक्टेयर में फैले देश के इस पहले मॉस गार्डन में लगभग 30 अलग-अलग प्रजातियां और ब्रायोफाइटा प्रजातियां मौजूद है यहां तकरीबन 1•2 किलोमीटर के क्षेत्र में moss की अलग-अलग प्रजातियां है इस संबंध में वैज्ञानिक जानकारी भी दिखाती है ।लोगों को जागरूक करने के लिए यह पहला गार्डन स्थापित किया गया है।
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