Monday, 16 November 2020

Armenia and Azerbaijan Battle

 "आज विस्तार वादी का युग चल रहा है। आज से 80 वर्ष पूर्व लोगों को यह विश्वास था कि उपनिवेश का दौर समाप्त हो गया लेकिन नहीं आज भी महत्वकांक्षी लोग विस्तार बाद में काम कर रहे हैं ।  समुद्र में खनिज संपदा है उसको लेकर के होड़ मची हुई है। वैसा जीता जागता उदाहरण दक्षिण चीन सागर,भूमध्य सागर ,कैस्पियन सागर देखने को मिल रहा है सागर में तेल एवं प्राकृतिक गैस का आकुत भंडारण है ।इसकी  तलाश में एवं आयात और निर्यात आर्थिक हालात को नजर रखते हुए आज युद्ध का अखाड़ा बन चुका आर्मीनिया एवं अजरबैजान जीता जागता उदाहरण   ।                                                         "  आर्मीनिया की राजधानी -येरेवान है ।

इसका क्षेत्रफल  - 29800 वर्ग किलोमीटर है।

मुद्रा का नाम  - द्राम , ईसाई बहुल देश है आर्मीनिया आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ देशहै । इनके पास संसाधन होते हुए भी पूर्ण रूप से इसका विकास नहीं हो पाया। कभी भूकंप तो कभी युद्ध के कारण यह बिछड़ता चला गया ।इनके संसाधनों का दोहन नहीं  हो पाया ना कोई भारी-भरकम निवेश हुआ। यह सोवियत संघ के विघटन के पश्चात दो देश अजरबैजान एवं आर्मीनिया है ।इससे पहले यह कभी सोवियत संघ का ही एक हिस्सा हुआ करता था ।नागोर्नो  -कारावाख  को लेकर आर्मीनिया एवं अजरबैजान युद्ध का अखाड़ा बनाया हुए हैं।

आर्मीनिया की सीमा तुर्की जॉर्जिया अज़रबैजान और ईरान से मिलता है। नागोर्नो -कारावाख दक्षिण कॉकस के इलाके में स्थित है ।यह क्षेत्र को कॉकस पर्वत श्रृंखला की  पहाड़ियों में आता है ।ज्यादातर यह पहाड़ी और वनो से भरपूर है इसका क्षेत्रफल 44 o o वर्ग किलोमीटर है। यहां अजर की जगह आर्मीनियाई लोगों का बहुलता है ।युद्घ  1994 मे आर्मीनिया की मदद से नागोर्नो -कारावास अपने आप को वास्तविकता में अजरबैजान से अलग कर अपने आप को स्वतंत्र कर लिया ।यह इलाका अलगाववादियों भरा  है और इसमें आर्मीनिया का समर्थन लगातार जारी रहा है।

                         

 स्वतंत्र राष्ट्र की तरह अपने मामला संभालता है ।उसने अपना नाम नागोर्नो कारावाख गणतंत्र रखा हुआ है जिससे अजरबैजान को अपना आपत्ति जताता रहा है ।

आर्मीनिया की आर्थिक स्थिति

आर्मेनिया में मूल रूप से संसाधनों को दोहन को लेकर अब तक इसका पूर्ण विकास नहीं हो पाया है । आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है में।तांबा ,जस्ता ,सोना और सीसा  का उत्पादन करता है। मुख्य घरेलू ऊर्जा का स्रोत हाइड्रोइलेक्ट्रिक है कोयला, गैस और पेट्रोलियम की थोड़ी मात्रा भी विकसित नहीं हो पाई है । यह देश बाहर के देशों पर निर्भर है। ।  अज़रबैजान और तुर्की से रिश्ते अच्छी नहीं है इसीलिए  भूमि  मार्ग बिल्कुल बंद है ।

अजरबैजान की भौगोलिक स्थिति

अजरबैजान एक इस्लामिक बहुली देश है तुर्क शिया समुदाय के लोग रहते है ।         

प्राकृतिक संसाधनों से भरा अजरबैजान का बाकू शहर पेट्रोलियम की राजधानी कहा जाए तो कोई दिक्कत नहीं है अजरबैजान बहुत हद तक आत्मनिर्भर देश है और यहां से गैस पाइपलाइन जॉर्जिया ,तुर्की ,कजाकिस्तान जाता है कई देशों में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस  का सप्लायर है ।

A I O C अंतरराष्ट्रीय तेल कंपनी के निवेश अजरबैजान ने तुर्की से एक गैस पाइपलाइन बिछाई है जो अजरबैजान का निर्यात बाजार का एक प्रमुख माध्यम है बाकू से भूमध्य रेखा तक कैस्पियन तेल में सिहान से जॉर्जिया, तुर्की एक तेल पाइपलाइन के माध्यम से परिचालित है ।जो तकरीबन अज़रबैजान और तुर्की के मध्य ऊर्जा के स्रोत का एक प्रधान जीवन रेखा है ।  अजरबैजान और तुर्की बीच $10 अरब  अमेरिकी डॉलर  का व्यापार होता है । अजरबैजान बागवानी, शराब ,सब्जियां ,औषधीय पौधा, सूती कपड़े, डेयरी उद्योग प्रमुख व्यवसाय है,1980 के दशक में देश प्रसिद्ध पर्यटन स्थल था । 1988 से 1994 के मध्य जो संघर्ष हुआ इसमें अजरबैजान की छवि खराब हुआ और पर्यटन उद्योग बर्बाद हो गया ।यह लड़ाई  नागोर्नो  -कारावाख के युद्ध से जाना जाता है ।

साह डेनिश गैस कंपनी  यूरोपीय बाजार में गैस आपूर्ति करता है ।जो प्रतिवर्ष 300 बिलियन घन मीटर गैस उत्पादन के बराबर है ।इस डील के तहत nagorno-karabakh ऑफ कॉन्ट्रैक्ट भी बना है जो आर्मीनिया और अजरबैजान के सैनिकों अलग करता है ।भौगोलिक  , सुरक्षा ,रणनीतिक तौर पर नागोर्नो  - कारावाख बहुत अहम हैं।

उधर अजरबैजान के पूर्व राष्ट्रपति ने बोला है कि तुर्की और अज़रबैजान दो देश एक राष्ट्र हैं ।  रूस का सैन्य ठिकाना आर्मीनिया में है ।आर्मीनिया के साथ रूस का सैन्य कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन साइन है ।इसमें कोई देश आर्मीनिया के जमीन पर हमला करता है तो रूस का हमला समझा जाएगा ।                                                           आर्मेनिया के प्रधानमंत्री     -निकोल पाशिन्यान 

"अजरबैजान के राष्ट्रपति     - इलहामव ऑलिव

"अजरबैजान का मुद्रा का नाम - मैंनेट/मानत 

"तुर्की के राष्ट्रपति का नाम -रजब तैयब एर्दोगान

अजरबैजान 2 सालों में अच्छे गुणवत्ता वाले ड्रोन ,गोला बारूद की खरीदारी किया है ।इसमें अजरबैजान को तुर्की ,ने        समर्थन और हथियार दिया है।

तुर्की नाटो का सदस्य देश है इसके पास अमेरिका का हथियार है और यूरोपीय -अभी स- 400 का भी रूसी से प्राप्त हुआ है। है और यह अभी तक नवीनतम हथियारों में एक है इन देशों को खलीफा बनने की चाहत के  लिए तुर्की अज़रबैजान का पूरा समर्थन कर रहा है तुर्की नाटो का भी सदस्य है उसके पास अच्छे हथियार भी हैं  और सारे हथियार  जरूरत के अनुकूल अज़रबैजान को हथियार मुहैया करा रहा है ।इधर इजरायली ड्रोन जो है आर्मीनिया पर कहर बरपा रहा है हालांकि आर्मीनिया की सेना ने जो जंग लड़ी है वह काबिले तारीफ है आर्मेनिया के पास इतनी अच्छी आधुनिक टेक्नालॉजी के ड्रोन नहीं थे ।उधर अजरबैजान सीरिया का लड़ाके को पैसा देकर आर्मीनिया के खिलाफ जंग में झोंका है पाकिस्तान ,तुर्की   हर संभव मदद किया ।रूस के सहयोग से 11 नवंबर से युद्ध विराम की घोषणा कर दी गई है। रूस अपना शांति सैनिक के रूप में नागोर्नो कारावाख भेज दिया है । शर्त शांति संधि के अनुसार आर्मीनिया का जो अधिकार है वहां से जगह खाली करेगा।

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