केसर का परिचय
"केसर का पौधा छोटे आकार का होता है ।और इसका वानस्पतिक नाम --क्रोकस सेटाईबस , केसर का अंग्रेजी नाम- SAFFRON
"यह इरेडेसि का पौधा है। जिसका मूल स्थान दक्षिणी यूरोप है।
उत्पादन
" केसर उत्पादन पूरे भारत में सिर्फ जम्मू कश्मीर में ही होता है जम्मू कश्मीर के पन्पौर , श्रीनगर और किश्तवार में ही इसका मूल क्षेत्र रहा है पम्पोर,-को कश्मीर का केसर के कटोरा भी कहते हैं।
"भारत में केसर का उत्पादन प्रतिवर्ष 6 से 7 टन ही मात्र होता है जबकि इनकी आवश्यकता 100 टन प्रति वर्ष जो मूल रूप से आयात पर ही निर्भर करता है । खाने के व्यंजन एवं इन के औषधीय गुण होने के कारण दवा में भी प्रयोग होता है ।
"केसर की प्रसिद्धि कश्मीरी खानपान के साथ जुड़ा है इसका औषधीय गुण कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक हिस्सा है
" केसर के उत्पादन में विश्व के कुल उत्पादन में ईरान और स्पेन 70 से 80% उत्पादन करता है
इसके अलावा भी केसर का उत्पादन अलग-अलग देश में होता है जिसमें फ्रांस, इटली ,ग्रीस, रूस ,स्विजरलैंड ,पाकिस्तान ,अफगानिस्तान भी शामिल है
जलवायु मिट्टी एवं भौगोलिक दशाएं
"केसर उत्पादन के लिए उनकी जलवायु ,मिट्टी एवं भौगोलिक दशाएं होना बहुत अनिवार्य है ।इसके उत्पादन में समुद्र तल से 2000 मीटर ,पहाड़ी क्षेत्र की ऊंचाई होनी चाहिए । एवं उनकी मिट्टी ,दोमट मिट्टी हो जिस मे कैल्शियम कार्बोनेट प्रचुर मात्रा में पाया जाए और उस मिट्टी का PH मान 6- 8 होता हो मिट्टी में पानी का ठहराव नहीं होना चाहिए ।केसर के पौधा 15 डिग्री सेंटीग्रेड से लेकर 35 डिग्री के मध्य हो ।यह केसर के पौधों के लिए उपयुक्त तापमान है ।इस तरह से भूमध्य सागर के सीमावर्ती देशों में भी केसर का उत्पादन होता है पर भूमध्य सागर के आसपास खट्टे फलों का भी उत्पादन होता है ।इनका जलवायु शीतोषण एवं शुष्क हो इनके विकास के लिए उपयुक्त है।
" केंद्र सरकार ने नेशनल सेफ्रॉन मिशन के अंतर्गत भारत के पूर्वोत्तर राज्य दक्षिणी सिक्कम के यांगयांग गांव में एक पायलट प्रोजेक्ट North East Center For technology Application and Reach विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत स्वायत्त निकाय है।
"भारत में पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत वर्ष 2010 में केसर के उत्पादन के लिए एक प्रयास के अंतर्गत सिक्किम सेंट्रल यूनिवर्सिटी बॉटनी एवं हॉर्टिकल्चर विभाग के वैज्ञानिकों ने (पम्पोर) में पाए जाने वाले केसर के बीज से खेती का सही समाधान निकाला है ।उसी तरह की मिट्टी ,जलवायु एवं मिट्टी का PH पीएच मान एवं भौगोलिक दशाएं, खोज निकाली ।जिन की जलवायु शीतोषण एवं शुष्क है इसके लिए गवर्नमेंट ने तकरीबन 415करोड़ रूपया खर्च किया है । दक्षिण सिक्किम के लोगों को रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे हमारी आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी और हमें विदेश पर होने वाले निर्भरता भी खत्म होगा।
Indian railway ki krmchari,ki durdsha, pr lekh likho ysr
ReplyDelete