लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष
Q चिपको आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तराखंड के ,दो , तीन गांव में प्रारंभ हुए इस आंदोलन की शुरुआत अंगू के पेड़ काटने के मुद्दे पर हुआ ।ग्रामीणों को खेती भूमि में विकास के लिए अंगू वृक्ष काटने की अनुमति को राज्य सरकार ने खारिज कर दिया ।वहीं सरकार ने खेल का सामान बनाने वाली कंपनी को अंगू वृक्षों को काटने का ठेका दे दिया। इसी मुद्दे ने चिपको आंदोलन को जन्म दिया इस आंदोलन ने आर्थिक शोषण से जुड़े अन्य मुद्दों को भी अपने उद्देश्य में था।
इस मुद्दे को लेकर आंदोलन का उद्देश्य था जंगल, जल और जमीन पर एक मात्र नियंत्रण स्थानीय लोगों का हो स्थानीय भूमिहीन मजदूर कर्मियों ने आर्थिक मुद्दा उठाया एवं न्यूनतम मजदूरी की गारंटी मांगी बाहरी ठेकेदारों द्वारा स्थानीय निवासियों को दिए जाने वाले शराब के कारण शराबी बन रहे लोगों को शराब खोरी पर महिलाओं ने आवाज उठाई परिणाम स्वरुप आंदोलन के कारण अगले 15 वर्षों तक वनों की कटाई पर सरकार ने रोक लगा दी।
Q भारत एक गणतंत्र देश है व्याख्या करें?
क्योंकि राष्ट्र ने 26 जनवरी 1950 को अपनी स्वाधीनता गन तांत्रिक संविधान अंगी कृत्य किया गया था इसीलिए भारत गणतंत्र कहा जाता है।
Q सूचना के अधिकार आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
सूचना के अधिकार आंदोलन का मुख्य उद्देश्य में आंशिक शांति जारी करना सरकारी कामकाज पर नियंत्रण रखना तथा सरकार एवं सरकारी मुलाजिमों के कार्यों का सार्वजनिकरन करना है । राजस्थान में सरकार ने 1994 ईस्वी और 1996 जून में जनसुनवाई आयोजित की इस आंदोलन के दबाव में सरकार को राजस्थान पंचायती राज अधिनियम में संशोधन कर पंचायत के दस्तावेजों को प्रमाणित प्रतिलिपि जनता को उपलब्ध कराने का आदेश निर्गत करना पड़ा। 1996 ईस्वी में दिल्ली में सूचना का अधिकार आंदोलन को एक राष्ट्रीय समिति का गठन हुआ ।2002 ईस्वी में सूचना की स्वतंत्रता नामक एक विधेयक पारित हुआ ।लेकिन इस में व्याप्त गड़बड़ियों के कारण इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। 2004 में सूचना के अधिकार से संबंधित विधेयक संसद में लाया गया ।
जिसे जून 2005 में राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और यह अधिनियम बन गया इस अधिकार द्वारा जनता को जागरूक कर विकास को समझने पर रखने के कौशल में विकास लाने का उद्देश्य समाहित हुआ।
Q दल बदल कानून क्या है?
भारत एक बहुदलीय लोकतांत्रिक राष्ट्र है ।निर्वाचित प्रतिनिधि अपने हित या अन्य किसी कारण से अपने दल को छोड़कर अन्य दल में मिल जाते हैं। तो यह प्रक्रिया उस निर्वाचित सदस्य के संदर्भ में दलबदल कहलाएगा ।दलबदल शक्ति संतुलन को बिगाड़ ना है ।सरकार का स्थाई एवं भयभीत बनाए रखता है। 1985 ईस्वी में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने दल बदल विरोधी अधिनियम संसद में लाया। इसे दलबदल पारित अधिनियम दल विरोधी कानून बना। यदि किसी पार्टी से निर्वाचित सदस्यों का एक तिहाई भाग अलग होता है तो यह दल बदल नहीं कहलाएगा ।
एक नए दल का गठन माना जाएगा ।यदि दलबदल की घटना में 1/3 से कम निर्वाचित सदस्य हैं तो यह दल बदल माना जाएगा ।दल बदलने वाले निर्वाचित प्रतिनिधि की सदस्यता विधायिका से समाप्त कर दी जाती है।
Q राजनीतिक दल लोकतंत्र के लिए क्यों आवश्यक है ?
राजनीतिक दल लोकतंत्र में निम्न कारणों से आवश्यक है ।लोकतंत्र में सरकार का निर्माण बहुमत के आधार पर होता है। राजनीतिक दलों के बिना लोकतंत्र में सरकार का निर्माण संभव नहीं है । राजनीतिक दल जनमत के निर्माण में सहायक हैं तथा जनता में जागरूकता बढ़ाने में सहायक हैं । राजनीतिक दल सरकार एवं जनता के मध्य कड़ी का कार्य करते हैं। विरोधी दल के रूप में ही सरकार की मनमानी पर रोक लगाते हैं।
Q राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के 3 उपायों को संक्षिप्त वर्णन करें?
राजनीतिक दलों को प्रभावी बनाने के 3 उपाय निम्न है।
(1) दल बदल कानून लागू होना चाहिए :-
विधायकों और सांसदों के दल बदल को रोकने के लिए संविधान में संशोधन लाकर कानून बनाया गया है । इस कानून को पूर्ण रूप से बिना किसी लाभ- हानि के लागू होना चाहिए।
(2) राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र बहाल होना चाहिए:-
राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि सभी राजनीतिक दल अपने अपने संविधान का पालन करें। समय-समय पर संगठित चुनाव हुए और सभी सदस्यों को विभिन्न पदों पर बैठने का सामान अवसर मिले।
(3) न्यायपालिका के आदेश का पालन होना चाहिए:-
उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक दलों के काले धन के दुरुपयोग को रोकने और अपराधियों को चुनाव लड़ने की पाबंदी संबंधी आदेश दिए हैं ।इन आदेशों का सख्ती से पालन होना चाहिए।
Q भारत में बहुदलीय प्रणाली को क्यों अपनाया?
राजनीतिक दलों की व्यापक पहुंच जनता में होती है ।यह सरकार में भी सहयोगी या विरोधी की भूमिका में होते हैं ।इस रूप में यह सरकार और जनता के बीच कड़ी का काम करता है। यह जनता की इच्छा और भावना से सरकार को अवगत करा कर और सरकार के कार्यों की जानकारी जनता तक पहुंचाकर ही सरकार के प्रति जन समर्थन और सहयोग सुरक्षित करते हैं ।इसीलिए भारत में बहुद्देशीय प्रणाली को अपनाया है।
Q राजनीतिक दल की परिभाषा दें ?
राजनीतिक दल लोकतंत्र के व्यावहारिक पक्ष को अमलीजामा पहनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक दल सामान्यता व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है ।जिसका सामान्य उद्देश्य सत्ता की प्राप्ति है अर्थात इसका उद्देश्य होता है कि राजनीतिक कार्य काल आपको करना और कराना राजनीति क्रियाकलापों में दल के सदस्य मतदान करते या कराते हैं। चुनाव लड़ते या लड़ाते हैं ।नीतियां एवं कार्यक्रम का निर्धारण करते और कराते हैं ।यदि विचारों में मूल रूप से भिनता आ जाती है। तो व्यक्ति को दल छोड़ना पड़ता है। सत्ता प्राप्ति तथा सत्ता को प्रभावित करने हेतु राजनीतिक दल अपनी अपनी नीतियां एवं कार्यक्रम तैयार करते हैं।
Q गुप्त मतदान क्या है?
मतदान की प्राचीन विधि में प्रत्याशियों का चुनाव चिन्ह नाम सहित एक पर्ची पर छापा जाता है ।मतदाता को मतदान केंद्र पर यह पत्र मतदान करने के लिए दिया जाता है।
मतदाता अपने मत का प्रयोग इसी पत्र पर छपे प्रत्याशियों के चुनाव चिन्ह पर मोहर लगाकर बक्से में डाल देता है। इससे उसका मत कहां गया यह ज्ञात होता है ।इस पत्र को ही गुप्त मतदान पत्र कहते हैं।
Q भारत में लोकतंत्र के भविष्य को किस रूप से देखते हैं?
भारतीय लोकतंत्र और वह भारतीयों का आशा का दीप है। कभी-कभी हम दिग्भ्रमित होने लगते हैं कि क्या भारत जैसे देश के लिए लोकतंत्र उपयुक्त शासन व्यवस्था है भी या नहीं । भारतीय लोकतंत्र में जनता की सहभागिता बढ़ाने के लिए शिक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए। जागरूकता के कई कार्यक्रम सरकारी स्तर पर चलाए गए हैं । कुछ राजनीतिक दलों द्वारा राजनीतिक स्तर पर कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं ।पंद्रहवीं लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता ने आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को हार का रास्ता दिखा दिया। 2014 के 16 बी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जनता ने मत प्रदान कर विजय बनाया एवं कांग्रेस को नकार दिया ।
यह भारतीय लोकतंत्र की सफलता का परिणाम है ।भारतीय जनता जिसे चाहे सत्ता पर बिठा सकती है या सत्ता से गिरा सकती है। आज सारी दुनिया के लिए भारतीय लोकतंत्र प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है ।भारतीय लोकतंत्र बार-बार जनता की कसौटी पर खरा उतरा है।
Q संघात्मक शासन व्यवस्था में लिखित संविधान क्यों आवश्यक है?
संघात्मक शासन व्यवस्था में लिखित संविधान आवश्यक है। क्योंकि इस शासन व्यवस्था में प्रांतीय केंद्र सरकार के मध्य शक्तियों का बंटवारा किया जाता है ।शक्तियों का बंटवारा संविधान द्वारा ही किया जाता है ।यदि संविधान लिखित नहीं होगा तथा शक्तियां का बंटवारा अस्पष्ट तथा सुनिश्चित नहीं होगा तो केंद्र व प्रांतों के मध्य अधिक विवाद उत्पन्न होंगे।
Q भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है संक्षिप्त में जानकारी दें ?
जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाता है। भारतीय संविधान अनुच्छेद 25 से 28 में धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार अपने नागरिकों को प्रदान करता है ।हम अपने धर्म का शांतिपूर्ण ढंग से प्रचार कर सकते हैं अतः भारत धर्मनिरपेक्ष संग है।
Q अशिक्षा लोकतंत्र के लिए अभिशाप है कैसे ?
अशिक्षा लोकतंत्र के लिए अभिशाप है ।क्योंकि अशिक्षा के कारण नागरिकों में राजनीतिक जागरूकता का अभाव होता है ।जिससे वे न तो अपने अधिकारों का उपयोग कर पाएंगे और नहीं अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत हुए ऐसी स्थिति में राजनीतिक प्रक्रिया में उनकी भागीदारी कम होगी और शासन तंत्र निरंकुश हो सकता है ।
अशिक्षा लोकतंत्र की सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक विकास में बाधा है ।राजनीतिक जागरूकता के अभाव में लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता है।
Q भारतीय लोकतंत्र के उद्देश्य क्या है ?
विश्व के कई देशों में धीरे-धीरे लोकतांत्रिक व्यवस्था की बहाली शुरू हो गए हैं ।हाल ही में आंग सान सू ची की रिहाई मिस्र में तख्तापलट एवं लीबिया में युद्ध की शुरुआत इसके उदाहरण है। आज लोकतंत्र की लोकप्रियता वैश्विक पैमाने पर बढ़ रही है। लोकतांत्रिक देशों की संख्या बढ़कर लगभग 100 के करीब हो गई है लोकतांत्रिक व अन्य सभी शासन व्यवस्थाओं से अच्छा माना जाता है ।वह नागरिकों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराता है । व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं गरिमा को स्थापित करता है ।इसमें कई बार आप सभी भक्तों एवं टकराव को कम कर शांति स्थापना करने में सफल रही है ।लोकतंत्र में फैसले व्यक्तिगत पूर्वाग्रह से नहीं बहुमत की इच्छाओं के अनुरूप सामूहिक सहमति से लिए जाते हैं ।
अल्पसंख्यक की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर संवैधानिक उपबंध तक कर दिए जाते हैं ।इन्हीं लक्ष्यों के साथ भारतीय लोकतंत्र अपेक्षाकृत समृद्ध होता हुए अन्य राष्ट्रों के लिए संदर्भ बना हुआ है।
Q लोकतंत्र किस प्रकार लोगों के लिए उत्तरदाई है संक्षिप्त व्याख्या करें ?
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की बहु प्रचलित परिभाषा है ।
लोकतंत्र जनता का जनता के लिए एवं जनता द्वारा शासित संस्था है ।यह विश्लेषण स्पष्ट करता है कि इस शासन व्यवस्था में सरकार के नियंत्रण निर्माण एवं कुंजी जनता के हाथों में होती है ।
यही कारण है कि सरकार स्वयं सीधे निर्णय लेकर मुद्दों को जनप्रतिनिधियों के बीच में ली जाती है ।चर्चा बहस वाद विवाद के बाद मुद्दों का निर्णय लिया जाता है। निर्णय के आधार पर नीतियां एवं कार्यक्रम निर्धारण होता है ।इन्हीं नीतियों एवं कार्यक्रम के द्वारा आई उपलब्धियों को लेकर शासक एवं विपक्ष दोनों की चुनाव के समय जनता के बीच जाते हैं । जनता इनके द्वारा विगत 5 वर्षों के दौरान किए गए कार्यों के आधार पर उसको सत्तारूढ़ करती है अथवा को विपक्ष में बैठाने का काम अपने मताधिकार के द्वारा करती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में शामिल लोग या संगठन अपने कार्यक्रमों और नीतियों के द्वारा जनता की समस्याओं को दूर करने का प्रयास करती है ।जनता का दिल जीतने का प्रयास करती है ।ताकि भावी चुनाव उनका हो इस प्रकार लोकतंत्र जनता के प्रति उत्तरदाई शासन व्यवस्था है।
Q सूचना का अधिकार कानून लोकतंत्र का रखवाला है कैसे?
सूचना के अधिकार के तहत लोग कई मामलों को जानकार बनते हैं। भ्रष्टाचारियों के संबंध में जानकारी प्राप्त कर उन्हें नियंत्रित कर लोकतंत्र को समृद्ध बनाते हैं ।अतः यह जनतंत्र का रखवाला है।
Q लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं परिभाषित करें?
लोकतंत्र जनता का जनता द्वारा, जनता के लिए शासन है ।यह परिभाषा ब्रह्म लिंकन के द्वारा दी गई है।
Q लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का क्या अर्थ है ?
भारत में एक लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की गई है। केंद्रीय सरकार द्वारा योजनाओं का निर्माण होता है ।परंतु उन्हें स्थानीय स्वशासन के माध्यम से कार्य वित्त कराने का प्रयास किया जाता है ।इसे ही लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण कहा जाता है ।इसी सिद्धांत को सही रूप देने के लिए भारत में 73वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा पंचायती राज्य की स्थापना की गई है ।शहरी क्षेत्रों के लिए संविधान संशोधन 74 वे संविधान अधिनियम के द्वारा नगर निगम नगर परिषद एवं नगर पंचायत की व्यवस्था की गई है ।
यही लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण कहलाता है।
Q परिवारवाद क्या है?
किसी जनप्रतिनिधि के निधन या इस्तीफे के बाद रिक्त स्थान पर उनके ही किसी परिवार को पदस्थापित करना अथवा चुनाव का टिकट दे देने की स्थिति परिवारवाद के नाम से जानी जाती है।
Q भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के विषय के बारे में संक्षिप्त जानकारी दें ?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद संख्या 19 में स्वतंत्रता का अधिकार दर्शाया गया है ।भारत देश में कहीं भी कर सकते हैं। व्यवसाय कर सकते हैं किसी भी धर्म को मान सकते हैं ।इसकी पूर्ण आजादी दर्शाता है।
Qक्षेत्रवाद से आप क्या समझते हैं?
क्षेत्रवाद का तात्पर्य किसी क्षेत्र विशेष में भाषा संस्कृति प्रजाति आदि किसी आधार पर जनता द्वारा अलग पहचान को मान्यता देता है। क्षेत्रवाद जब अलगाववाद में बदल जाता है तो देश के लिए खतरा होता है।
Q भारत में संघवाद का विकास कैसे हुआ?
भारत भौगोलिक दृष्टि से एक विशाल राष्ट्र है ।यहां विभिन्न जाति धर्म एवं भाषा और संस्कृति के लोग निवास करते हैं ।राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान देश की एकता एवं अखंडता को मजबूती करने के लिए राष्ट्र में सभी नागरिकों की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए तथा शासन की सुविधा के लिए संघीय भारत की कल्पना की गई थी ।1919 की द्वैध शासन व्यवस्था तथा 1935 के प्रांतीय शासन की व्यवस्था से भारत में संघवाद को बल मिला। 1946 में भारतीय संविधान के गठन में भी संघवाद के आधार बनाया गया ।
Q संघात्मक शासन क्या है?
संघात्मक शासन का तात्पर्य ऐसे शासन से है। जिसमें शासन की शक्ति केंद्र व प्रांतों में विभाजित होती है ।यह शक्ति विभाजन संविधान द्वारा किया जाता है। इस शासन में संविधान का लिखित होना तथा केंद्र व प्रांतों के मध्य विवादों का निपटारा करने के लिए एक स्वतंत्र संघीय न्यायालय की आवश्यकता है ।संघात्मक शासन में केंद्र व प्रांतों दोनों ही अपने अपने अधिकार क्षेत्र में है।
Q गठबंधन की राजनीति कैसे लोकतंत्र को प्रभावित करती है?
गठबंधन की राजनीति के दो पहलू होते हैं। गठबंधन चुनाव के पहले हो सकते हैं या चुनाव के बाद इसे अवसरवादी गठबंधन भी कर सकते हैं। सैद्धांतिक समानता के आधार पर गठबंधन का निर्माण हो सकता है ।किंतु बगैर सैद्धांतिक समानता के भी राजनीतिक गठबंधन होते हैं ।सरकार गठन या सत्ता पर कब्जा करने की लालसा से भी ऐसे गठबंधन होता है ।बहुमत नहीं मिलने के कारण भी राजनीतिक गठबंधन करना पड़ता है गठबंधन के अंतर्गत क्षेत्रीय दलों से राजनीतिक समझौते करने पड़ते हैं ।परिणाम गठबंधन में शामिल राजनीतिक दल अपने व्यक्तिगत हित और लाभ का ध्यान रखने लग जाते हैं ।इससे प्रशासन पर सरकार की पकड़ ढीली पड़ने लगती है ।
अंततः सरकार ढीली पड़ जाती है और बदनामी भी उठानी पड़ती है।
Q आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है कैसे?
आतंकवाद निश्चित तौर पर यह किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए एक समस्या है ।आतंकवाद का उद्देश्य जानमाल को छाती करते हुए जनता के मनोबल को तोड़ना है ।जनता द्वारा चुने गए लोकप्रिय सरकार के संदर्भ में यह संदेश प्रसारित करना है कि मुट्ठी भर लोगों के सामने चुनी गई सरकार दिवस है आतंकवादी जब चाहे अपनी आतंकवादी की की गतिविधियों को अंजाम दे देते हैं ।आंतरिक सामाजिक राजनीतिक आर्थिक ढांचे को प्रभावित करती है ।आतंकी घटनाओं का राजनीतिकरण होने लगता है ।लोकतंत्र प्रभावित होने लगता है ।
विकास कार्यों में लगाए जाने वाले पैसे को सुरक्षा में लगाना पड़ता है। इसीलिए आतंकवाद एक चुनौती है।
Q मानवाधिकार पर एक संक्षिप्त व्याख्या करें?
भारत संघ एवं राज्य के नागरिकों के अधिकारों एवं सुरक्षा संबंधी मामलों में क्रांति प्रदान करने के लिए अधिकार प्रदान किए हैं ।
इसे मानवाधिकार कहते हैं। इस प्रकार के हितों की सुरक्षा के दायित्व हेतु मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गई है
भारत अपने नागरिकों के अधिकारों का हनन या अतिक्रमण करने नहीं देता है ।यदि ऐसा हुआ तो शोषण के विरुद्ध अधिकार के तहत मामला दर्ज कर प्रभावित व्यक्ति को न्याय प्रदान किया जाता है।
Q बिहार एक पिछड़ा हुआ राज्य होने के कारणों को लिखे?
बिहार के पिछड़ने के निम्न कारण है ।
(1)तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या
(2)आधारभूत संरचना का अभाव
(3)खराब विधि व्यवस्था
(4) कुशल प्रशासन का अभाव
(5)औद्योगिक करण का अभाव
(6)गरीबी
(6)भौगोलिक स्थिति संसाधनों की कमी
(6)कृषि पर निर्भरता
(7)वाढ ग्रसित और सूखा से प्रभावित क्षेत्र
बाकी वस्तुनिष्ठ आधारित प्रश्न अगले लेख में अंकित होगा....
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