प्राकृतिक संसाधन
👉 लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन हैअनवीकरण योग
👉ज्वारीय ऊर्जा किस प्रकार का संसाधन है पुनः पूर्ति योग्य
👉किस प्रांत में सीढ़ी दार सोपानी खेती की जाती है उत्तरांचल
👉मिट्टी के अध्ययन को क्या कहते हैं पीडोलॉजी
👉भारत में सबसे अधिक क्षेत्रफल पर पाई जाने वाली मिट्टी जलोद मिट्टी है 43%
👉 जलोढ़ मिट्टीमे पोटाश एवं चूना की अधिकता होती है
👉यह गंगा का, कावेरी का ,ब्रह्मपुत्र का सिंध का मैदानी इलाकों में पाई जाती है
👉इस मिट्टी में गेहूं धान आलू की फसल के लिए उत्तम मानी जाती है
👉पुराने जलोढ़ मिट्टी को बांगर कहते हैं एवं नए जलोढ़ मिट्टी को खादर मिट्टी कहते हैं
👉जलोढ़ मिट्टी का रंग हल्के धूसर रंग का होता है
👉केंद्रीय मृदा संरक्षण बोर्ड की स्थापना 1953 ईस्वी में हुआ
👉काली मिट्टी क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत वर्ष में दूसरा स्थान रखता है
👉काली मिट्टी का निर्माण ज्वालामुखी का उद्गार एवं बेसाल्ट चट्टान के टूटने से हुआ है
👉 काली मिट्टी को और रेगुर मिट्टी भी कहा जाता है
👉उत्तर भारत में काली मिट्टी को केवल मिट्टी के नाम से भी जानते हैं काली मिट्टी में लोहा चुना मैग्नीशियम एलुमिना पोटाश की मात्रा अधिक होती है
👉काली मिटी कपास की फसल के लिए उत्तम पैदावार देती है
👉इसके अलावा रबी की फसल जैसे मसूर चना खेसारी की अच्छी उपज होती है।
👉काली मिट्टी में लोहे की अंश अधिक होने के कारण इसका रंग काला होता है
👉काली मिट्टी में जल का अवशोषण अधिक दिनों तक बना रहता है
👉जिससे धान की उपज अधिक होती है
👉काली मिट्टी सूखने पर अधिक कड़ा एवं गीला होने पर तुरंत चिपचिपा हो जाता है
लाल मिट्टी
👉लाल मिट्टी क्षेत्रफल के हिसाब से तीसरा स्थान है 18% लाल मिट्टी का निर्माण ग्रेनाइट चट्टान आग्नेय शैल के टूटने से हुई है
👉लाल मिट्टी का विस्तार तमिलनाडु राज्य में सबसे अधिक है लाल मिट्टी के नीचे अधिकांश खनिज मिलते हैं
👉लाल मिट्टी का रंग आयरन ऑक्साइड के कारण इसका रंग लाल दिखाई पड़ता है
👉लाल मिट्टी में में ज्यादातर मोटे अनाज जैसे ज्वार मकई बाजरा मूंगफली इत्यादि होता है।
👉लाल मिट्टी का विस्तार छत्तीसगढ़ झारखंड एमपी उड़ीसा तमिलनाडु में है।
पीली मिट्टी
👍जिस क्षेत्र में लाल मिट्टी होते हैं और उस लाल मिट्टी पर वर्षा की अधिकता के कारण लाल मिट्टी के रासायनिक तत्व अलग हो जाते हैं जिससे उस मिट्टी का रंग पीली मिट्टी दिखाई पड़ता है इसे पीली मिट्टी कहते हैं
👉 भारत में सबसे अधिक पीली मिट्टी केरल राज्य में मिलता है
लैटेराइट मिट्टी
👍भारत में क्षेत्रफल के आधार से लैटेराइट मिट्टी का चौथा स्थान है लैटेराइट मिट्टी में लॉग ऑक्साइड एवं एलमुनियम ऑक्साइड की प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।
👉लेटराइट मिट्टी में चाय एवं कॉफी की फसल उत्तम मानी जाती है
👉लेटराइट मिट्टी का विस्तार निम्न राज्यों में है असम तमिलनाडु कर्नाटक
👉यह मिट्टी पहाड़ी एवं पठारी क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है 7%
👉काजू फसल लेटराइट मिट्टी के लिए उत्तम मानी जाती है
👉इस मिट्टी का रंग लाल होता है जब वर्षा होती है तब इस मिट्टी से चूना पत्थर बह कर अलग हो जाती है जिसके कारण यह मीटिं सूखने पर कड़ा हो जाता है
👉लेटराइट मिट्टी का विस्तार सबसे अधिक केरल राज्य में है
पर्वतीय मिट्टी
👉पर्वतीय मिट्टी में कंकड़ एवं पत्थर की मात्रा अधिक होती है
👉पर्वतीय मिट्टी में पर्वतीय क्षेत्र में गरम मसाला की खेती उत्तम होती है
👉झूम की खेती सबसे अधिक नागालैंड में होती है
👉पहाड़ी क्षेत्र में ही झूम की खेती होती है
👉पहाड़ी क्षेत्र में खास करके बागवानी कृषि होती है यह मिट्टी से नाशपाती के लिए उत्तम मानी जाती है
शुष्क एवं मरुस्थलीय मिट्टी
मरुस्थलीय मिट्टी में घुलनशील लवण एवं फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है
यह मीटी तिलहन में उत्पादन के लिए उत्तम मानी गई है
इस मिट्टी में तिलहन के अलावा ज्वार बाजरा एवं राय की खेती होती है पर यह मिट्टी बहुत कम उपजाऊ होती है
लवणीय मिट्टी एवं क्षारीय मिट्टी
इस मिट्टी में कैल्शियम मैग्नीशियम एवं सोडियम की मात्रा का अधिकता होती है
क्षारीय मिट्टी का निर्माण वैसे क्षेत्र में होती है जहां जल निकासी की सुविधा नहीं होती है छारीय मिट्टी का लाती है क्षारीय मिट्टी का निर्माण समुद्र तटीय मैदान में अधिक होता है
पंजाब हरियाणा पश्चिम राजस्थान एवं केरल के तटवर्ती क्षेत्रों में क्षारीय मिटी पाई जाती है
नारियल की खेती क्षारीय मिट्टी में उत्तम मानी जाती है
जैविक मिट्टी
👉जैविक मिट्टी को दलदली मिट्टी के नाम से जानते हैं
👉जैविक मिट्टी का विस्तार केरल उत्तराखंड एवं पश्चिम बंगाल में पाई जाती है
👉दलदल मिट्टी में लवन मात्रा अधिक फास्फोरस, पोटाश की मात्रा कम होती है
👍पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन को रोकने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए ।
वर्षा ऋतु में पहाड़ी जैसे अधिक ढलान या नदियों में बाढ़ आने से आसपास में मिट्टी का कटाव होता है इससे बचने के लिए नदियों पर बांध बनाकर पानी रोककर धीरे-धीरे कम मात्रा में पानी छोड़े जाने चाहिए इसे बाढ़ की समस्या भी नहीं होगी और मृदा अपरदन की भी समस्या कम होगी इस प्रकार कहा जा सकता है कि मृदा अपरदन रोकने के लिए अधिक तीव्र ढलान को सीढ़ीनुमा आकार बनाकर पेड़ पौधों को लगाकर मिट्टी का अपरदन बहुत हद तक कम कर सकते हैं साथ में कंटूर जुदाई ,टेरेस कृषि जल निकासी का उचित प्रबंधन मृदा अपरदन रोकने का संसाधन है।
👉भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान -भोपाल
No comments:
Post a Comment