भारतीय नौसेना को अमेरिका से
P-8i poseidon विमान प्राप्त हुआ
पूर्व में उसे मल्टी मिशन मैरिटाइम एयरक्राफ्ट के नाम से जाना जाता था। USA के द्वारा विकसित यह सैन समुद्री गस्त विमान है ।वहीं Boeing p-8i poseidon रक्षा कंपनी, बोइंग रक्षा, सुरक्षा और अंतरिक्ष द्वारा विकसित किया गया है।
Range-2222km, Lenth -39m
टॉप स्पीड - 908 km/h
यह एंटी पनडुब्बी, युद्ध विरोधी ,सतह युद्ध और शिपिंग हस्तक्षेप में सक्षम है इसमें टारपीडो ,हारपूर्ण ,एंटी शिप मिसाइल गहराई प्रभाव एवं अन्य मिसाइल शामिल है यह सुनार प्रणाली, ड्रॉप और मॉनिटर करने में सक्षम है वर्तमान में अमेरिका ,ऑस्ट्रेलिया, भारत के सैन्य बेड़े में इस्तेमाल कर रहा है। इससे पहले ही भारत अपनी सैन्य नौसेना में 8 विमान शामिल कर चुका है।
P-8i विमान लंबी दूरी का एंटी सबमरीन किलर एयरक्राफ्ट है ।इससे भारतीय नौसेना में शामिल होने से हिंद महासागर में भारत की ताकत में दोगुना इजाफा होगा ।भारत चीन सीमा विवाद के बीच भारतीय नौसेना की ताकत को लगातार मजबूती प्रदान करने के लिए यह सैन्य समझौता के अंतर्गत हुआ है। भारतीय नौसेना को अमेरिका से p-8i विमान मिला है ।यह भारतीय नौसेना का 9वां विमान है। इस विमान से नौसेना हिंद महासागर में निगरानी के साथ सबमरीन को पनडु्बी को पता लगाने एवं उसे मार गिराने में सक्षम है ।भारत अमेरिका से p -8i विमान का आर्डर 1.1 बिलियन यूएस डॉलर में समझौता है । भारतीय रुपया में बात करें तो 74 अरब रुपया से भी अधिक होगा ।जिसके तहत 4 p8i पैसाइडन समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी युद्ध विमान में से एक विमान मिल गया है ।इसे भारतीय नौसेना में पहले से इस्तेमाल कर रही थी ।इस विमान में बहुत सी आधुनिक सेंसर लगे हैं जिससे नौसेना के लिए समुद्र से निगरानी का काम आसान हो जाएगा । नए p-8i विमानों से दुश्मन देश के बारे में जानने के लिए कई तकनीक और हथियारों से लैस किया गया है ।चार विमान को आर्डर 2016 में दिया गया था ।बीते वर्षों में चीन और भारत के तनाव को देखते हुए सरकार ने 6 और p-8i विमानों की खरीद को मंजूरी दी है ।जो भारी-भरकम लागत से 88 बिलीयन us मे डील हुई है। चीन हिंद महासागर में अपना पैर तेजी से पसार रहा है ।चीन के पास भारत से ज्यादााा समुद्री शक्तियां हैं इसे देखते हुए p-8विमानों की आवश्यकता हो गई है। यह विवान उड़ते हुए आकाश से पनडु्बी्, सबमरीन को पहचान लेता है । और मार देता है वर्तमान समय में इसकी आवश्यकता को देखते हुए सरकार ने खरीद के लिए अमेरिका से डील की है।पढ़ें एवं शेयर करें
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